Give-UP-Protest-अब-आंदोलन-नहीं-करेंगे-जिला-पंचायत-अध्यक्ष-प्रतिनिधि
सागर वॉच। सागर जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाकर उन्हें सागर से हटाने की मांग को लेकर कई बार आंदोलन की चेतावनी देने वाले जिला पंचायत अध्यक्ष प्रतिनिधि ने अंतत: पार्टी के शीर्ष नेताओं के मंशा के आगे हथियार डाल दिए हैं।
जिला पंचायत अध्यक्ष प्रतिनिधि अशोक सिंह बमोरा ने मंगलवार को सोशल मीडिया पर एक संदेश डालकर भाजपा के वरिष्ठ नेताओं से हुई चर्चा के बाद उनके निर्देश पर अपना प्रस्तावित आंदोलन स्थगित कर दिया है। अशोक सिंह बामोरा इच्छित गढ़पाले को सागर से हटाने के लिए तीन बार आंदोलन पर बैठने की चेतावनी दे चुके हैं।
किन्तु इस बार उन्होंने गढ़पाले को सागर से कार्यमुक्त हुए बिना ही आंदोलन न करने का निर्णय लिया है। भाजपा के वरिष्ठ नेताओं की सलाह की आड़ में भाजपा नेता की लाचारी साफ़ तौर समझी जा सकती है।
उल्लेखनीय है कि अशोक सिंह बामोरा ने एक शिकायती पत्र संभाग कमिश्नर को देकर सागर जिला पंचायत में गंभीर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। इस मामले में उन्होंने जांच की मांग करते हुए दोषी अधिकारी को हटाने की मांग की थी। हालाँकि इस शिकायती पत्र में उन्होंने किसी भी अधिकारी विशेष के नाम का उल्लेख नहीं किया था।
किन्तु राज्य में भाजपा की सरकार होते हुए भी पिछले आठ माह में संभाग कमिश्नर ने दिव्या अशोक सिंह के पत्र पर न तो कोई जांच की और न ही किसी दोषी अधिकारी को हटाने की कार्रवाई हुई। उल्लेखनीय है कि इच्छित गढ़पाले का तबादला भोपाल नगर निगम में हो गया था। उनका तबादला आदेश अभी तक निरस्त होने की सूचना सामने नहीं आई है।
किन्तु बताया गया है कि सागर जिले के तीनों मंत्रियों गोपाल भार्गव, गोविन्द राजपूत और भूपेन्द्र सिंह ने एक साथ मुख्यमंत्री के समक्ष इच्छित गढ़पाले को सागर जिला पंचायत में ही रखने का आग्रह किया। जिसके चलते उनका तबादला आदेश निरस्त होना तय है। इसलिए उन्हें अब तक कार्यमुत नहीं किया गया। ऐसे में भाजपा के वरिष्ठ नेताओं की सलाह पर जिला पंचायत अध्यक्ष प्रतिनिधि अशोक सिंह को अपना प्रस्तावित आंदोलन वापिस लेना पड़ा।
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