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ड्यूक विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने एक क्रांतिकारी खोज में एक ऐसा नया तंत्रिका मार्ग (neural pathway) खोजा है, जिससे आंतों में मौजूद बैक्टीरिया सीधे मस्तिष्क को रियल-टाइम में संकेत भेज सकते हैं। इस खोज से भूख, व्यवहार और मानसिक स्वास्थ्य को समझने का तरीका पूरी तरह बदल सकता है।

यह अध्ययन Nature पत्रिका में 23 जुलाई 2025 को प्रकाशित हुआ है और इसमें इस नए तंत्र को "न्यूरोबायोटिक सेंस" (neurobiotic sense) नाम दिया गया है। 

इसे छठी इंद्रिय भी कहा जा रहा है, जो आंतों में मौजूद न्यूपॉड्स (neuropods) नामक विशिष्ट संवेदी कोशिकाओं पर आधारित है। 

ये कोशिकाएं कुछ विशेष बैक्टीरिया द्वारा छोड़े गए फ्लैजेलिन (flagellin) नामक प्रोटीन को पहचानकर वागस नस (vagus nerve) के माध्यम से मस्तिष्क को तुरंत संकेत भेजती हैं—जिससे मस्तिष्क तक यह संदेश पहुँचता है कि खाना बंद कर दिया जाए।

यह प्रभाव चूहों पर परीक्षण में देखा गया, जहाँ फ्लैजेलिन देने से उनकी भूख में कमी आई। लेकिन जिन चूहों में TLR5 रिसेप्टर नहीं था—जो इन माइक्रोबियल संकेतों को पकड़ने का "एंटीना" होता है—उनमें यह प्रभाव नहीं देखा गया और वे ज़्यादा खाने लगे।

इस खोज के निहितार्थ बेहद व्यापक हैं। यह अध्ययन दर्शाता है कि हमारी आंतों की माइक्रोबायोम सिर्फ पाचन नहीं, बल्कि तात्कालिक व्यवहार, भावनात्मक स्थिति, और शायद मानसिक विकारों को भी प्रभावित कर सकती है।

भविष्य में आंतों के बैक्टीरिया या इस न्यूरल सर्किट को लक्षित करके मोटापा, डिप्रेशन या एंग्जायटी जैसी समस्याओं का इलाज किया जा सकता है—वह भी सीधे मस्तिष्क पर असर डाले बिना।

हमने पहले भी माना था कि आंत और मस्तिष्क के बीच संबंध होता है, लेकिन यह पहली बार है जब वैज्ञानिकों ने यह प्रत्यक्ष प्रमाण दिया है कि आंत के बैक्टीरिया व्यवहार को एक तेज़ और विशेष तंत्रिका सर्किट के माध्यम से प्रभावित कर सकते हैं।

स्रोत:साभार 
A gut sense for a microbial pattern regulates feeding” – Winston W. Liu et al., Nature, 23 जुलाई 2025

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