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Science Watch/ एक नई शोध ने इस लंबे समय से चली आ रही धारणा को चुनौती दी है कि याददाश्त केवल मस्तिष्क में ही होती है। इस अध्ययन से यह खुलासा हुआ है कि शरीर की अन्य कोशिकाओं में भी स्मृति जैसी कार्यप्रणाली हो सकती है।
शोधकर्ताओं ने पाया कि मस्तिष्क के बाहर की कोशिकाएँ—विशेष रूप से तंत्रिका और गुर्दे (किडनी) की कोशिकाएँ—दोहराए जाने वाले सूचना पैटर्न को पहचान सकती हैं, और वे वही "स्मृति जीन" सक्रिय कर सकती हैं जो मस्तिष्क की तंत्रिकाएं (न्यूरॉन्स) उपयोग करती हैं।
प्रयोगों में वैज्ञानिकों ने इन कोशिकाओं को रासायनिक संकेत छोटे-छोटे अंतरालों में दिए—बिलकुल वैसे जैसे अध्ययन सत्रों के बीच में ब्रेक होते हैं। इससे स्मृति जीन की अधिक सशक्त और दीर्घकालिक सक्रियता देखी गई, जो मस्तिष्क में स्मृति को मजबूत करने की प्रक्रिया से मेल खाती है।
यह खोज दूरगामी प्रभाव डाल सकती है। यदि अन्य कोशिकाएं भी “याद” रख सकती हैं, तो यह बीमारियों के उपचार या नई शिक्षण विधियों को प्रेरित कर सकता है।
उदाहरण के लिए, अगर यह समझा जा सके कि अग्न्याशय (पैंक्रियास) की कोशिकाएं भोजन के ढर्रे को कैसे याद रखती हैं, तो रक्त शर्करा नियंत्रण में मदद मिल सकती है। इसी तरह, यह जानना कि कैंसर कोशिकाएं कीमोथेरेपी को कैसे “याद” रखती हैं, उपचार रणनीतियों को बेहतर बना सकता है।
हालांकि आपके गुर्दे विचार नहीं बना रहे हैं, लेकिन यह शोध संकेत देता है कि स्मृति जैसी प्रक्रियाएं शरीर में पहले की तुलना में कहीं अधिक व्यापक रूप से मौजूद हो सकती हैं—जो हमारी समझ को पूरी तरह से नया रूप दे सकती हैं।
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