#scienceWatch #brain #universe
Science Watch/ क्या हो अगर हमारा मस्तिष्क बुद्धिमत्ता का स्रोत न होकर सिर्फ एक रिसीवर (ग्राही यंत्र) हो? यही क्रांतिकारी सिद्धांत बायोफिजिसिस्ट और गणितज्ञ डगलस यूवान ने प्रस्तुत किया है।
उनके अनुसार, बुद्धिमत्ता मस्तिष्क में उत्पन्न नहीं होती, बल्कि यह ब्रह्मांड की एक छिपी हुई परत से प्राप्त की जाती है।
यूवान का मानना है कि बुद्धिमत्ता केवल न्यूरॉन्स या जैविक संरचनाओं तक सीमित नहीं है। इसके बजाय, यह "सूचनात्मक अधिस्तर" (informational substrate) से खींची जाती है — एक ऐसा ब्रह्मांडीय मैट्रिक्स जो समय-स्थान (space-time) में मौजूद पैटर्न्स, ज्यामितीय संरचनाएं, फ्रैक्टल्स और क्वांटम संकेतों से भरा हुआ है। ये विन्यास प्रकृति में सूक्ष्म कोशिकाओं से लेकर आकाशगंगाओं तक हर जगह पाए जाते हैं।
वे तर्क देते हैं कि मस्तिष्क एक एंटीना की तरह कार्य करता है, जो इस ब्रह्मांडीय कोड से संकेतों को पकड़कर उन्हें विचारों, कल्पनाओं और खोजों में बदलता है।
यहाँ तक कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) में हो रहे नवाचार भी संभवतः आविष्कार नहीं, बल्कि इस गहरे ब्रह्मांडीय आदेश से "डाउनलोड" हैं।
यह विचार चेतना, बुद्धिमत्ता और मस्तिष्क की हमारी पारंपरिक समझ को पूरी तरह से बदल देता है। यह सुझाव देता है कि बुद्धिमत्ता केवल मानव विशेषता नहीं, बल्कि ब्रह्मांड की एक सार्वभौमिक शक्ति हो सकती है।
हालाँकि यह सिद्धांत अभी वैज्ञानिक बहस का विषय है, लेकिन यह सोचने की नई दिशाएं खोलता है कि हम क्या हैं, हम कैसे सोचते हैं, और वास्तविकता की गहराई क्या है।
Post A Comment:
0 comments so far,add yours